दर्द ही दर्द है , मेरे देश के सीने में ,
इस दर्द से मेरा दिल भी पसीज जाता है ।
ये जो बच्चे सो रहे है सड़को पर , इनको देख विकाश की बातों से भरोसा उठ जाता है ।
कभी शहादत जवानों की सुनता हूँ , तो कभी खुदकुशी किसानों की ।
जब भी ये बेहाली देखता हूँ , जय जवान , जय किसान का नारा भूल जाता हूँ ।
राह चलती लड़की संग , जब ये दुर्व्यवहार होता है , तब अपने दिये वोट पर , मैं ही खुद पछताता हूँ ।
जब सरकारे घोटाला कर रही होती है , तो आम इनसान को लाचार पाता हूँ ।
जब जगमगाती गाड़ीयाँ , गरीबों को रौंद जाती है , और अदालत में घरवालों को खरी खोटी सुनायी जाती है ।
तब विश्वास होता है , कानून तो अपना अंधा है ।
हर बार दिल ऐसे ही दर्द में डूब जाता है , जब देश का दर्द ऐसे सामने आता है ।
From :- कही पढ़ा हुआ
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